Wednesday, November 17, 2010

इन्द्रेश के बहाने कांग्रेस का संघ पर प्रहार

राजस्थान सरकार के आतंकवाद विरोधी दस्ते ने अजमेर दरगाह शरीफ पर कुछ साल पहले हुूए बम धमाके के मामले में कुछ तथाकथित अभियुक्तों के खिलाफ अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया है। इस आरोप पत्र में जिन आरोपियों को नाम हैं उनमें इन्द्रेश कुमार का नाम नहीं है। यहां तक का किस्सा सामान्य जांच प्रक्रिया का अंग है। परंतु उसके बाद की कहानी राजनैतिक कहानी है। कांग्रेस सरकार का काम केवल इतने से नहीं चलता कि कोई जांच एंजेसी किसी मामले की सामान्य ढंग से जांच करे और संदिग्ध आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर कर दे। क्योंकि कांग्रेस को केवल आतंकवाद से ही नहीं लड़ना है परंतु आतंकवाद से लडने की आड में अपने वैचारिक और राजनीतिक विरोधियों को भी निपटाना है। नेहरु के जमाने से ही कांग्रेस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अपना वैचारिक शत्रु मान कर चलती रही है यही कारण था कि जब महात्मा गांधी की दुर्भाग्यपूर्ण हत्या हुई तब पंडित जवाहरलाल नेहेरु ने उस हत्या की आड में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को निपटाने का प्रयास किया। केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को ही नहीं बल्कि वीर सावरकर जैसे स्वतंत्रता सेनानी को भी पंडित नेहरु गांधी हत्या के आड में सदा के लिए या तो जेल के सलाखों के पीछे बंद कर देना चाहते थे या फिर यदि दांव ठीक पडता तो गांधी हत्या के बहाने उनको फांसी पर ही लटका देते। लेकिन यह पंडित नेहरु का दुर्भाग्य रहा कि न्यायालय ने वीर सावरकर को सम्मान सहित बरी कर दिया और हत्याकांड में संघ की किसी प्रकार की भूमिका को भी स्वीकार करने से इंकार कर दिया। लेकिन नेहरु का संघ विरोध इतना गहरा था कि वे सरदार पटेल के भी विरोध में खडे हो गये। क्योंकि पटेल संघ को राष्ट्रवादी सकारात्मक शक्ति के रुप में देखते थे। दुर्भाग्य से आज से कांग्रेस की कमान उस सोनिया गांधी के हाथ में आ गई है जो भारत की सांस्कृतिक पहचान के विरोध में है। इसलिए उसके नेतृत्व में कांग्रेस ने एक बार फिर से संघ को अपना निशाना बना लिया है। इन्द्रेश कुमार को इस पूरे कांड में घसीटना उसकी इसी रणनीति का हिस्सा है। कांग्रेस जानती है कि न्यायालय में वह संघ या इन्द्रेश कुमार को दोषी सिद्ध नहीं कर सकती। इसलिए जांच एजेंसी ने कांग्रेस की इच्छा के अनुसार आरोप पत्र में यह डाल दिया है कि तथाकथित आरोपी इन्द्रेश कुमार से भी मिलते रहे हैं। जाहिर है यह तथाकथित आरोपी हजारों लोगों से मिले होंगे। लेकिन केवल इन्द्रेश कुमार का नाम डालना इस बात का संकेत है कि कांग्रेस की मंशा संघ को सुनियोजित ढंग से बदनाम करने की है। कांग्रेस जानती है कि जब आरोप पत्र में चलते चलाते ढंग से भी इन्द्रेश कुमार का नाम डाल दिया जाएगा को मीडिया इसे पलक झपटते ही ले उ़ड़ेगा और षडयंत्र में संघ की भूमिका मीडिया में चर्चा का विषय़ बन जाएगी। कांग्रेस की मंशा भी इसी चर्चा को आगे बढाना है। इस चर्चा को आगे बढाने से दो फाय़दे कांग्रेस को हो सकते हैं ( यह अलग बात है कि कांग्रेस लाख चाहते हुए भी यह लाभ उठा नहीं सकेगी )। मुसलमान कांग्रेस से प्रसन्न हो सकते हैं कि कांग्रेस संघ से भीड रही है। बिहार के चुनाव चल रहे हैं और वहां राहुल गांधी की लाख कोशिशों के बावजूद मुसलमान कांग्रेस की ओर मुंह नहीं कर रहे हैं । य़दि बिहार में कांग्रेस मिट जाती है तो राहुल गांधी को लांच करने की सोनिया गांधी की सारी साजिश मिट्टी में मिल जाएगी । इसलिए बिहार में मुसलमान को घेर कर हर हालत में कांग्रेस के पंजे के नीचे पहुंचाना है। इन्द्रेश कुमार और संघ का नाम एटीएस का अंतिम प्रयास है कि बिहार के मुसलमान को किसी ढंग से रिझाया जाए।
वैसे साजिश के संकेत बिहार चुनाव के आस पास कुछ महीने पहले ही मिलने शुरु हो गये थे। जब देश के गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने भगवा आतंकवाद की बात कह कर सबको चौंका दिया था। पहले ऐसा लगा था कि कि चिंदबरम की जवान फिसलने का यह मामला है। लेकिन जब बाद में चिदंबरम ने अपनी जीभ निकाल कर दिखाया कि उनकी जुबान बिल्कुल ठीक ठाक है और भगवा आंतकवाद का प्रयोग उन्होंने सोच समझ कर ही किया है। राजनीति के तटस्थ विश्लेषक तभी यह आशंका जाहिर करने लगे थे कि मुसलमानों को खुश करने के लिए कांग्रेस ने जो यह नयी अवधारणा उपस्थित की है उसमें रंग भरने के लिए जल्दी ही संघ का नाम भी जोडा जाएगा और यह आशंका सही साबित हो गई है जब एटीएस ने बिना किसी कारण आधार व प्रमाण के अपने आरोप पत्र में इन्द्रेश कुमार का नाम नत्थी कर दिया है।
कुछ दिन पहले राहुल गांधी के इस बयान को कि सिमी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक जैसे ही हैं को इसी षडयंत्र के परिप्रेक्ष में देखना होगा।
संघ और इन्द्रेश कुमार का नाम उछालने से एक दो दिन पहले कांग्रेस सरकार की अप्रत्यक्ष सहायता से दिल्ली में कश्मीर के तथाकथित पाकिस्तान समर्थक नेता सय्यैद गिलानी को बुलाया गया। एक सेमिनारनुमान मिटिंग में गिलानी ने बहुत साफ और स्पष्ट शब्दों में कश्मीर की आजादी और उसके लिए लडे जाने वाले स्वतंत्रता संग्राम का केवल समर्थन ही नहीं किया बल्कि उसे प्राप्त करने के लिए किसी भी हद तक जाने की घोषणा भी की। इस कार्यक्रम में गिलानी ने भारत के खिलाफ जी भर कर आग उगली। कार्यक्रम में बैठे कुछ राष्ट्रवादी लोगों ने जब इसका विरोध किया तो उन राष्ट्रवादी शक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने की कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मांग की। दिल्ली में गिलानी को बुला कर उसके आगे सिजदा करने की कांग्रेस की यह रणनीति बिहार के चुनाव को ध्यान में रख कर तो बनायी ही गई है। साथ ही इसे लंबी योजना के अंतर्गत मुसलमानों को गोलबंद करने की रणनीति के तहत भी देखा जाना चाहिए।
कांग्रेस की ओर से उसके यह तीन चार कृत्य एक निरंतरता में एक खास उद्देश्य की पूर्ति के लिए किये गये लगते हैं । संघ और इन्द्रेश कुमार का नाम आतंकवादी कृत्यों में उछालना उसी रणनीति का हिस्सा है।
लेकिन कांग्रेस को एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का इतिहास देशभक्ति और राष्ट्रीय अस्मिता की रक्षा के लिए लडने वालों का इतिहास है। संघ आतंकवाद में विश्वास नहीं करता, आतंकवाद कायरों की नीति होती है। आतंकवाद में वे गिरोह संलग्न हैं जो इस देश को तोडना चाहते हैं। 1984 में दिल्ली में राजीव गांधी की सहायता से ही सिक्खों पर आतंकवाद का जो घृणित दौर चला था उसके पीछे कांग्रेस ही थी। ऐसा व्यक्तिगत बातचीत में दिल्ली के कई कांग्रेसी नेता स्वीकार भी करते हैं। कांग्रेस सरकार ने उन आतंकवादी साजिशों के सूत्रधरों को पकडने के बजाए उनको बचाने में सरकारी जांच एजेंसियों को इस्तमाल किया। जो थोडी बहुत सजा कुछ लोगों को हुई भी वे केवल इसलिए कि कुछ लोग जान हथेली पर रख कर इन साजिशों का पर्दाफाश करते रहे। कसाब और अफजल गुरु को अब बचाने की जो कोशिशें हो रही हैं वे कांग्रेस की आतंकवाद को लेकर नीति स्पष्ट करती है । कांग्रेस अफजल गुरु की फांसी को मुसलामानों के तुष्ट या रुष्ट होने से जोड कर देखती है। उसकी कोशिश अपने वोटों के लिए आतंकवाद को भी एक खास रंग देने की है। आतंकवाद को भगवा कहना और उसके बाद इन्द्रेश कुमार का नाम उससे जोडना यह इसी रणनीति का हिस्सा है। लेकिन इतिहास गबाह है कि संघ ने कांग्रेसी सरकारों के ऐसे कई आक्रमणों को झेला है और हर आक्रमण के बाद संघ ज्यादा शक्तिशाली हो कर उभरा है। इस आक्रमण के बाद भी संघ ज्यादा ताकतबर हो कर उभरेगा । इसका मुख्यकारण है कि इस देश के लोग संघ को राष्ट्रवादी शक्ति मानते हैं न कि आतंकवादी।

-डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री

3 comments:

  1. ब्लाग की दुनिया में आपका स्वागत है। बहुत अच्छा लिख रहे हैं।
    www.maheshalok.blogspot.com- डा० महेश आलोक

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  2. बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !

    आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें

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  3. बास वोईस का आमंत्रण :
    आज हमारे देश में जिन लोगों के हाथ में सत्ता है, उनमें से अधिकतर का सच्चाई, ईमानदारी, इंसाफ आदि से दूर का भी नाता नहीं है। अधिकतर तो भ्रष्टाचार के दलदल में अन्दर तक धंसे हुए हैं, जो अपराधियों को संरक्षण भी देते हैं। इसका दु:खद दुष्परिणाम ये है कि ताकतवर लोग जब चाहें, जैसे चाहें देश के मान-सम्मान, कानून, व्यवस्था और संविधान के साथ बलात्कार करके चलते बनते हैं और किसी को सजा भी नहीं होती। जबकि बच्चे की भूख मिटाने हेतु रोटी चुराने वाली अनेक माताएँ जेलों में बन्द हैं। इन भ्रष्ट एवं अत्याचारियों के खिलाफ यदि कोई आम व्यक्ति, ईमानदार अफसर या कर्मचारी आवाज उठाना चाहे, तो उसे तरह-तरह से प्रता‹िडत एवं अपमानित किया जाता है और पूरी व्यवस्था अंधी, बहरी और गूंगी बनी रहती है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो आज नहीं तो कल, हर आम व्यक्ति को शिकार होना ही होगा। आज आम व्यक्ति की रक्षा करने वाला कोई नहीं है! ऐसे हालात में दो रास्ते हैं-या तो हम जुल्म सहते रहें या समाज के सभी अच्छे, सच्चे, देशभक्त, ईमानदार और न्यायप्रिय लोग एकजुट हो जायें! क्योंकि लोकतन्त्र में समर्पित एवं संगठित लोगों की एकजुट ताकत के आगे झुकना सत्ता की मजबूरी है। इसी पवित्र इरादे से भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) की आजीवन सदस्यता का आमंत्रण आज आपके हाथों में है। निर्णय आपको करना है!
    http://baasvoice.blogspot.com/

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